Saturday, May 9, 2020

सन्धि ~ सामान्य परिचय

सन्धि - सामान्य परिचय


      किन्हीं दो सार्थक शब्दों या पदों के दो वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार उत्पन्न (परिवर्तन) होता है उसे सन्धि कहते हैं।
किन्ही दो सार्थक शब्दों के दो वर्णों से अभिप्राय
प्रथम शब्द या पद का अंतिम वर्ण  +  द्वितीय शब्द या पद का प्रथम वर्ण = सन्धि

वर्णों का यह परस्पर मेल छह प्रकार से होता है:-

  1. स्वर + स्वर
  2. स्वर + व्यंजन
  3. व्यंजन + स्वर
  4. व्यंजन + व्यंजन
  5. विसर्ग + स्वर
  6. विसर्ग + व्यंजन
शब्द और पद में अन्तर -
 
         हिन्दी भाषा की अगर हम बात करें तो शब्द और पद में कोई ज्यादा अंतर नहीं है। अंतर केवल इतना है कि कोई भी सार्थक शब्द जब किसी वाक्य में प्रयोग किया जाता है तो वह पद बन जाता है। जैसे - विद्यालय, बालक ये दोनो सार्थक शब्द है, परन्तु जब ये शब्द किसी वाक्य में प्रयोग किए जाने पर उस वाक्य के अर्थ को समझने मैं सहायता करते है जैसे बालक विद्यालय जाता है। यहां "बालक और विद्यालय" शब्द न होकर पद बन जाते हैं।
         संस्कृत भाषा की अगर हम बात करें तो संस्कृत में जब हम किसी शब्द या धातु के शब्दरूप या धातुरूप बनाते है तो तो वह शब्दरूप और धातुरूप ही पद कहे जाते हैं। जैसे राम शब्द के यदि हम राम: रामौ रामा: से लेकर हे राम! हे रामौ! हे रामा:! आदि शब्दरूप बनाते हैं इसी प्रकार पठ् धातु के यदि हम पठति पठत: पठन्ति से लेकर पठामि पठाव: पठाम: आदि धातुरूप बनाते हैं तो ये राम:, पठति आदि पद कहे जाते हैं।

       सन्धि को सीखने से पहले हमें शब्दों में से स्वर और व्यंजन को अलग अलग करना आना चाहिए। तो आइए हम सीखते हैं शब्दों या पदों में से स्वर और व्यंजन को अलग-अलग करना ।
उदाहरण -
राम - र् आ म् अ
राम: - र् आ म् अ:
माला - म् आ ल् आ
फल - फ् अ ल् अ
फलम् - फ् अ ल् अ म् 
पाठक - प् आ ठ् अ क् अ
गायिका - ग् आ य् ई क् आ
गुरु - ग् उ र् उ
वधू - व् अ ध् ऊ
नर्तकी - न् अ र् त् अ क् ई
ऋषि - ऋ ष् इ
कृति - क् ऋ त् इ
विज्ञान - व् इ ज् ञ् आ न अ
विद्यालय - व् इ द् य् आ ल् अ य् अ
प्रद्युम्न - प् र् अ द् य् उ म् न् अ
आकांक्षा - आ क् आं क् ष् आ
द्वंद्व - द् व् अं द्  व् अ
प्रसिद्धि -  प् र् अ स् इ द् ध् इ
क्रम - क् र् अ म् अ
कर्म - क् अ र् म् अ
शृङ्गार - श् ऋ ङ् ग् आ र् अ
महर्षि: - म् अ ह् अ र् ष् इ:
पतञ्जलि: - प् अ त् अ ञ् ज ल् इ:
चिह्नाङ्कन - च् इ ह् न् आ ङ् क् अ न् अ
ब्राह्मण: - ब् र् आ ह् म् अ ण् अ:
हृदय - ह् ऋ द् अ य् अ
ह्रास: - ह् र् आ स् अ:
एवं - ए व् अं
एवम् - ए व् अ म्
पितृ - प् इ त् ऋ


सन्धि के प्रकार
सन्धि तीन प्रकार की होती है :- 
  1. स्वर सन्धि
  2. व्यंजन संधि: सन्धि
  3. विसर्ग सन्धि
 
स्वर सन्धि -
       किन्हीं दो सार्थक शब्दों या पदों के दो स्वरों के परस्पर मेल से जो विकार उत्पन्न (परिवर्तन) होता है उसे स्वर सन्धि कहते हैं।
  • स्वर + स्वर = स्वर सन्धि
स्वर निम्न है :-
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ लृ ए ओ ऐ औ

सामान्यतः स्वर संधि के 5 भेद होते हैं 
  1. दीर्घ संधि
  2. गुण संधि
  3. वृद्धि संधि 
  4. यण् संधि
  5. अयादि संधि
परन्तु संस्कृत में स्वर सन्धि के 7 भेद हो जाते हैं :-
  1. पूर्वरूप संधि
  2. पररूप संधि

व्यंजन सन्धि -
       किन्हीं दो सार्थक शब्दों या पदों के एक स्वर व एक व्यंजन अथवा दो व्यंजनों के परस्पर मेल से जो विकार उत्पन्न (परिवर्तन) होता है उसे व्यंजन सन्धि कहते हैं।
  • स्वर + व्यंजन = व्यंजन सन्धि
  • व्यंजन + स्वर = व्यंजन सन्धि
  • व्यंजन + व्यंजन = व्यंजन सन्धि
स्वर निम्न है :-
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ लृ ए ओ ऐ औ
व्यंजन निम्न है :-
क ख ग घ ङ      च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण        त थ द ध न
प फ ब भ म
य व र ल            श ष स ह

व्यंजन संधि के भेद निम्न है :-

  1. घोष / जशत्व व्यंजन सन्धि 
  2. अघोष / चर्त्व व्यंजन सन्धि
  3. तालव्य / श्चुत्व व्यंजन सन्धि
  4. मूर्धन्य / ष्टुत्व व्यंजन सन्धि
  5. अनुनासिक व्यंजन सन्धि
  6. अनुस्वार व्यंजन सन्धि
  7. परसवर्ण व्यंजन सन्धि
  8. पूर्वसवर्ण व्यंजन सन्धि
  9. छत्व व्यंजन सन्धि

विसर्ग सन्धि -
       किन्हीं दो सार्थक शब्दों या पदों के विसर्ग व स्वर अथवा विसर्ग व व्यंजन के परस्पर मेल से जो विकार उत्पन्न (परिवर्तन) होता है उसे विसर्ग सन्धि कहते हैं।
  • विसर्ग + स्वर = विसर्ग सन्धि 
  • विसर्ग + व्यंजन = विसर्ग सन्धि
स्वर निम्न है :-
अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ लृ ए ओ ऐ औ
व्यंजन निम्न है :-
क ख ग घ ङ      च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण        त थ द ध न
प फ ब भ म
य व र ल            श ष स ह
विसर्ग :- (:)

विसर्ग संधि के भेद निम्न है :-

  1. सत्व विसर्ग सन्धि
  2. रुत्व विसर्ग सन्धि
  3. उत्व विसर्ग सन्धि
  4. रेफ विसर्ग सन्धि
  5. विसर्ग लोप विसर्ग सन्धि
  6. रेफ लोप विसर्ग सन्धि

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