Monday, May 18, 2020

स्वर सन्धि ~ 1

स्वर सन्धि ~ 1


दीर्घ स्वर सन्धि (अकः सवर्णे दीर्घः) = अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ के बाद यदि कोई सवर्ण (समान अक्षर) अर्थात् अ आ इ ई उ ऊ ऋ ॠ आए तो उन दोनो वर्णों के स्थान पर उन्ही वर्णों का दीर्घ-एकादेश आ ई ऊ ॠ हो जाता है।
अ/आ + अ/आ = आ 
इ/ई + इ/ई = ई
उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ
ऋ/ॠ + ऋ/ॠ = ॠ
अभिप्राय -
अ + अ = आ         इ + इ = ई
अ + आ = आ        इ + ई = ई
आ + अ = आ        ई + इ = ई
आ + आ = आ       ई + ई = ई


उ + उ = ऊ          ऋ + ऋ = ॠ
उ + ऊ = ऊ         ऋ + ॠ = ॠ
ऊ + उ = ऊ         ॠ + ऋ = ॠ
ऊ + ऊ = ऊ        ॠ + ॠ = ॠ


उदाहरण -
अ/आ + अ/आ = आ 
दैत्य + अरिः - दैत्यारि:
शश + अंक: - शशांक:
गौर + अङ्ग: - गौराङ्ग:
मम + अपि - ममापि
मुर + अरि: - मुरारि:
तुल्य + अस्य - तुल्यास्य
हिम + आलय: - हिमालय:
रत्न + आकर: - रत्नाकर:
पद्म + आकर: - पद्माकर:
यथा + अर्थ: - यथार्थ:
विद्या + अर्थी - विद्यार्थी
तथा + अपि - तथापि
दु:ख + अन्त: - दु:खान्त:
विद्या + आलय: - विद्यालय:


इ/ई + इ/ई = ई
रवि + इन्द्र: - रवीन्द्र:
हरि + ईश: - हरीश:
लक्ष्मी + इन्दु: - लक्ष्मीन्दु:
देवी + इयम् - देवीयम्
अति + इव - अतीव
महती + इच्छा - महतीच्छा
गौरी + ईश: - गौरीश:
श्री + ईश: - श्रीश:


उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ
विष्णु + उदय: - विष्णूदय:
मधु + उत्तमम् - मधूत्तमम्
भानु + ऊष्मा - भानूष्मा
सिन्धु + ऊर्मि: - सिन्धूर्मि:
वधू +:उत्सव: - वधूत्सव:
वधू + उवाच: - वधूवाच:
भू + ऊर्ध्वम् - भूर्ध्वम्


ऋ/ॠ + ऋ/ॠ = ॠ
होतृ + ऋकारः - होतॄकार:
पितृ + ऋणम् - पितॄणम्
मातृ + ऋणम् - मातॄणम्
कर्तृ + ऋद्धि: - कर्तॄद्धि:


गुण स्वर सन्धि (आद्गुणः) = अ/आ के बाद यदि इ/ई उ/ऊ ऋ/ऋ ऌ आए तो दोनो वर्णौं के स्थान पर गुण-एकादेश ए ओ अर् अल्  हो जाता है।
अदेङ्गुण: - ए ‌ ओ  (गुण वर्ण)


अ/आ + इ/ई = ए
अ/आ + उ/ऊ = ओ
अ/आ + ऋ/ॠ = अर्
अ/आ + ऌ = अल्
अभिप्राय -
अ + इ = ए       अ + उ = ओ 
अ + ई = ए       अ + ऊ = ओ
आ + इ = ए      आ + उ = ओ
आ + ई = ए      आ + ऊ = ओ


अ + ऋ = अर्      अ + ऌ = अल्
आ + ऋ = अर्


उदाहरण
अ/आ + इ/ई = ए
उप + इन्द्र: - उपेन्द्र:
महा + इन्द्र: - महेन्द्र:
न + इति - नेति
न + इदम् - नेदम्
विकल + इन्द्रिय: - विकलेन्द्रिय:
लता + इव - लतेव
राका + ईश: - राकेश:
शुभ + इच्छु: - शुभेच्छु:
गण + ईश: - गणेश:


अ/आ + उ/ऊ = ओ
पर + उपकार: - परोपकार:
हित + उपदेश: - हितोपदेश:
यज्ञ + उपवीतम् - यज्ञोपवीतम्
परीक्षा + उत्सव: - परीक्षोत्सव:
गङ्गा + उद्कम् - गङ्गोद्कम्
गगन + ऊर्ध्वम् - गगनोर्ध्वम् 
महा + ऊर्णम् - महोर्णम्
महा + उदय: - महोदय:
एक + ऊन: - एकोन:
विशाल + उरु: - विशालोरु:
महा + ऊर्जितम् - महोर्जितम्


अ/आ + ऋ = अर्
देव + ऋषि: - देवर्षि:
महा + ऋषि: - महर्षि:
सप्त + ऋषय: - सप्तर्षय,:
वसन्त + ऋतु: - वसन्तर्तु:
वर्षा + ऋतु: - वर्षर्तु:
महा + ऋद्धि: - महर्द्धि:
कृष्ण + ऋद्धि: - कृष्णर्द्धि:


अ/आ + ऌ = अल्
तव + ऌकार: - तवल्कार:
मम + ऌकार: - ममल्कार:
तव + ऌदन्त: - तवल्दन्त:
उप + ऌकारीयति - उपल्कारीयति

वृद्धि स्वर सन्धि (वृद्धिरेचि) = अ/आ के बाद यदि  ए/ऐ ओ/औ आए तो दोनो वर्णौं के स्थान पर वृद्धि-एकादेश ऐ औ  हो जाता है।
वृद्धिरादैच्  - ऐ  ‌ औ  (वृद्धि वर्ण)

अ/आ + ए/ऐ = ऐ
अ/आ + ओ/औ = औ
अभिप्राय -
अ + ए = ऐ       अ + ओ = औ
आ + ए = ऐ       आ + ओ = औ
अ + ऐ = ऐ       अ + औ = औ
आ + ऐ = ऐ       आ + औ = औ

उदाहरण
अ/आ + ए/ऐ = ऐ
कृष्ण + एकत्वम् - कृष्णैकत्वम्
देव + ऐश्वर्यम् -  देवैश्वर्यम्
जन + एकता - जनैकता
सपाद + एकवादनम् - सपादैकवादनम्
तथा + एव - तथैव
बाला + एषा - बालैषा
दीर्घ + ऐकार: - दीर्घैकार:

अ/आ + ओ/औ = औ
कृष्ण + औत्कण्ठ्यम् - कृषणौत्कण्ठ्यम्
बिम्ब + ओष्ठ - बिम्बौष्ठ
गङ्गा +ओघ: - गङ्गौघ:
महा + औषधि महौषधि 
मम + औदासीन्यम् - ममौदासीन्यम्

विशेष नियम -
अ + ऋ = आर्
प्र + ऋणम् - प्रार्णम्
कम्बल + ऋणम् - कम्बलाार्णम्
दश + ऋण: - दशार्ण:
वसन + ऋणम् - वसनार्णम्
वत्सतर + ऋणम् - वत्सतरार्णम्
ऋण + ऋणम् - ऋणार्णम्
प्र + ऋच्छति - प्रार्च्छतिॆ
सुख + ऋत: - सुखार्त:

गुण सन्धि का अपवाद -
प्रष्ठ + ऊह: - प्रष्ठौह
अक्ष + ऊहिनी - अक्षौहिणी
प्र + ऊढ: - प्रौढ:
प्र + ऊह: - प्रौह:
प्र + ऊढि: - प्रौढि:

पररूप सन्धि का अपवाद -
उप + एति - उपैति
अव + एति - अवैति
उप + एधते - उपैधते
प्र + एधते - प्रैधते
प्र + एष: - प्रैष:
प्र + एष्य: - प्रैष्य:

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