Thursday, October 22, 2020

विसर्ग सन्धि


विसर्ग सन्धि


  1. सत्व विसर्ग सन्धि (विसर्जनीयस्य स:) = यदि विसर्ग के बाद खर्‌ (वर्ग का पहला दूसरा वर्ण व श् ष् स्) आए तो  विसर्ग  को स् हो जाता है।

विसर्ग  ~  स्  +  ख् फ् छ् ठ् थ् च् ट् त् क् प् श् ष् स् 

उदाहरण

विष्णु: + त्राता - विष्णुस्त्राता

राम: + च - रामस् + च | रामश्च

धनु: + टंकार: - धनुस् + टंकार: | धनुष्टंकार:

नि: + छल: - निस् + छल: | निश्छल:

नम: + ते - नमस्ते

हरि: + शेते - हरिस् +शेते | हरिश्शेते

नि: + सन्देह: - निस्सन्देह:

नृप: + षष्ठ: - नृपस् + षष्ठ: | नृपष्षष्ठ:

नि: + फलम् - निस् + फलम् | निष्फलम्

दु: + कर्म - दुस् + कर्म | दुष्कर्म


  1. रुत्व विसर्ग सन्धि (ससजुषो रु) = पदान्त स् एवं सजुष् के स् को रु आदेश हो जाता है। 'खरवसानयो: विसर्जनीय:' सूत्र से अवसान में  अथवा खर् बाद में होने पर  रु को विसर्ग  हो जाता है।

उदाहरण

शिवस् - शिवरु - शिव:

रामस् - रामरु - राम:

हरिस् - हरिरु - हरि:



  1. उत्व विसर्ग सन्धि (अतो रोरप्लुतादप्लुते; हशि च) = अप्लुत अ से परे रु के बाद अ तथा हश् (वर्ग का तीसरा चौथा पाँचवा वर्ण, अन्त:स्थ तथा ह) आए 8तो रु को उ हो जाता है।

उदाहरण

शिवस् + अर्च्य: | शिवरु + अर्च्य: | शिवउ + अर्च्य: | शिवोऽर्च्य:

कस् + अपि | करु + अपि | कउ + अपि | कोऽपि

रामस + अयम् | रामरु + अयम् | रामउ + अयम् | रामोऽयम्

रामस + अवदत् | रामरु + अवदत् | रामउ + अवदत् | रामोऽवदत्

शिवस् + वन्द्य: | शिवरु + वन्द्य: | शिवउ + वन्द्य: | शिवो वन्द्य:

रामस + हसति | रामरु + हसति | रामउ + हसति | रामो हसति

बालस् + याति | बालरु + याति | बालउ + याति | बालो याति

नमस्  + नम: | नमरु + नम: | नमउ + नम: | नमोनम:

मनस् + हर: | मनरु + हर: | मनउ + हर: | मनोहर:

यशस् + दा | यशरु + दा | यशउ + दा | यशोदा


  1. रेफ विसर्ग सन्धि (इचोऽशि विसर्गस्य रेफ:) = इच् (अ को शेष सभी स्वर) से परे विसर्ग के बाद यदि अश्‌ (सभी स्वर, वर्ग का तीसरा चौथा पाँचवा वर्ण, अन्त:स्थ तथा ह) आए तो विसर्ग को रेफ (र्) हो जाता है।

उदाहरण

मुनि: + इति - मुनिरिति

धेनु: + गच्छति - धेनुर्गच्छति

भानु: + असौ - भानुरसौ

एतै: + भक्षितम् - एतैर्भक्षितम्

नि: + जन: - निर्जन:

ज्योति: + गमय - ज्योतिर्गमय:

तयो: + मध्ये - तयोर्मध्ये

गौ: + इति - गौरिति

वधू: + एषा - वधूरेषा


विशेष - अव्यय, ऋकारान्त, सम्बोधन पदों की स्थिति में अ से परे भी विसर्ग को रेफ (र्) हो जाता है।

उदाहरण

पुन: + अत्र - पुनरत्र

प्रात: + गच्छति - प्रातर्गच्छति

पित: + वन्दे - पितर्वन्दे

मात: + वन्दे - मातर्वन्दे


  1. विसर्ग लोप विसर्ग सन्धि (आतोऽशि विसर्गस्य लोप:) = पूर्वसूत्र संख्या 4 का अनुसरण करते हुए आ से परे विसर्ग के बाद यदि अश्‌ (सभी स्वर व वर्ग का तीसरा चौथा पाँचवा वर्ण, अन्त:स्थ तथा ह) आए तो विसर्ग का लोप हो जाता है।

उदाहरण

बाला: + अत्र - बाला अत्र

लता: + एधन्ते - लता एधन्ते

ता: + गच्छन्ति - ता गच्छन्ति

बाला: + हसन्ति - बाला हसन्ति

‌‌

विशेष - अ से परे विसर्ग के बाद अ के अलावा कोई भी स्वर आए तो विसर्ग का लोप हो जाता है।

उदाहरण

राम: + आगच्छति - राम आगच्छति

कृष्ण: + एति - कृष्ण एति

बाल: + इच्छति - बाल इच्छति


  1. रेफ लोप विसर्ग सन्धि (रो रि) = स्वर से परे रेफ (र्) के बाद यदि रेफ (र्) आए तो रेफ (र्) का लोप हो जाता है साथ ही रेफ (र्) लोप से पूर्वस्वर दीर्घ हो जाता है।

उदाहरण

पुन: + रमते | पुनर् + रमते | पुन + रमते - पुना रमते

कवि: + रचयति | कविर् + रचयति | कवि + रचयति | कवी + रचयति

भानु: + राजते | भानुर् + राजते | भानु + राजते | भानू + राजते

हरि: + रम्य: | हरिर् + रम्य: | हरि + रम्य: | हरी + रम्य:

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